बीकानेर के लूणकरनसर और नोखा में पिछले एक महीने में कई हिरणों को मार दिया गया। कभी बंदूक की गोलियों से हिरण को मारा तो कभी सोलर प्लांट्स की चारदीवारी के लिए जालियों में हिरण उलझ गए। शिकारी कुत्तों ने इन मासूम जानवरों को नोच-नोच कर मार डाला। वहीं दूसरी तरफ कुछ ऐसे लोग भी हैं जो तपती धूप में इन जानवरों को बचाने में जुटे हैं। कभी पानी की व्यवस्था कर रहे हैं तो कभी दाना पहुंचा रहे हैं। इनकी दोस्ती अब इस पैमाने पर है कि हिरण इनसे डरते नहीं बल्कि आसपास ही खुश घूमते हैं। ज्यादातर हिरण इंसान को देखकर दौड़ जाते हैं। दौड़े भी क्यों नहीं? पिछले दिनों में बड़ी संख्या में हिरणों का शिकार हुआ है। ऐसे में हिरण दौड़ते बहुत तेज है इसके विपरीत नोखा की एक मंडली ने इन हिरणों का दिल जीतने का काम किया हिरणोंं को दिल से इतना प्यार दिया है कि वो अब इनके आसपास ही रहते हैं। कोरोना के संकट के दौर में जब हिरणों के लिए दाना-पानी देने वाला कोई नहीं था, तब इस मित्र मंडली ने व्यवस्था को हाथ में लिया। शुरू में हिरण इनसे भी डर रहे थे, लेकिन उन्हें भी विश्वास हो गया कि ये शिकारी नहीं दोस्त है।

अब कुछ मीटर दूरी पर हिरण आराम से विचरण कर रहे हैं और मित्र वहीं बैठे कर बाते करते है और हिरण बिना डरे ख़ुशी ख़ुशी घूमते है
